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Showing posts from February, 2021

एक सफल आयुर्वेद चिकित्सक के लक्षण

  एक सफल अयुर्वेद चिकित्सक के लक्षण- जब मै B.A.M.S.  की पढ़ाई कर रहा था, तो उस समय मै  कई  चीजों को लेकर प्रायः भ्रमित रहता था। बीएएमएस का प्रथम सत्र अत्यन्त बोझिल एवं नान क्लीनिकल होने के कारण विज्ञान के विद्यार्थियों के लिये बहुत भारी गुजरता है। इससे निराश होकर बहुत से विद्यार्थी आयुर्वेद चिकित्सक बनने का विचार त्याग कर अन्य क्षेत्रों में ही कैरियर बनाने के लिये जा चुके होते हैं। त्रुटिपूर्ण व्यवस्था एवं अपने बोझिल पाठ्यक्रम के कारण आयुर्वेद प्रतिवर्ष अनेक प्रतिभायें खोता जा रहा है। एक ओर एलोपैथ की सीमायें और दुष्प्रभावों से पीड़ित दुनिया भर का रोगी आयुर्वेद की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है, वहीं दूसरी ओर ही आज का युवा और आयुर्वेद शिक्षित चिकित्सक आयुर्वेद से दूर भाग रहा है।  मेरा मनना है कि मात्र 100 लोग भी प्रेरित होकर आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति गम्भीर हो सके तो विश्वास करें, कि ये 100 चिकित्सक ही आयुर्वेद को भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में एक नई दिशा दे सकते हैं। ये नियम इतने सरल और सहज हैं कि इनका पालन करना कोई कठिन कार्य नहीं है और इनका ...

NEW EMERGING HEALTH CHALLENGES & AYURVEDIC MEDICINES

 नई आपातकालीन स्वास्थ्य चुनौतियां और अयुर्वेद चिकित्सा परिचय : स्वस्थ शब्द शरीर के भीतर विभिन्न स्थितियों को संदर्भित कर सकता है। कई लोग कल्याण को अपने शारीरिक स्वास्थ्य से जोड़ते हैं,  इसका उपयोग पर्यावरण, मानसिक, बौद्धिक, व्यावसायिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए भी किया जा सकता है। और जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए स्वास्थ्य के ये विभिन्न आयाम का आपस में बातचीत करेंगे। जैसे-   शारीरिक            भावुक                  बौद्धिक                         आध्यात्मिक                               सामाजिक                                    व्यावसायिक                                 ...

Anukta vyadhi

  अनुक्ता व्याधि     नास्तिरोगो विना दोषै: य़स्मात् तस्मात् विचक्ष्ण: अनुक्तमपि दोषाणं व्यधिमुपाच्रेत ॥  सु.सू.३५ Without dosha, Roga does not manifest. By keeping this in mind on wisdom physician should treat the untold dosha by observing lakshna of dosha. विकार्नामकुशलो न जिद्दोयात् कदाचन् न् हि सर्व विकाराणां नामतोस्ति ध्रवास्थिति: ॥ च.सू.१८ Don't be shy if you are not aware of the name of the disease as it's not possible to name each and every diseases. Disease are many number as they are caused by different causative factors  which causes aggravation of dosha and thus result in sthan sansraya in many places of the body. Disease are named on the basis of pain, color cause and on the basis of body part  and symptoms as like  pain - visuchika color - pandu, kamala, haridrameha, causes - mridubhachhan janya pandu, amavata, body part - galaganda, shlipada, katigraha. symptoms - prameha, gulma, gridhasi, apasmaar these names are given for the convenie...